शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2009

मुझे तो जीना भर था
बस जी डाला जैसा सामने आया
कर डाला जैसा मन में आया
इतनी तो मासूम नहीं थी कि
कोई बहका लेता
इतनी शातिर भी नहीं थी
किसी को फाँस लेती
बस कुछ अनुभव लिए, कुछ अनुभव दिए
और हो गया जीना
अब इसे लिखें तो क्या
और न लिखें तो क्या
कुछ आंसू, कुछ हसरतें, कुछ ठहाके, कुछ मुस्कुराहटें
सब जी लिया
ज़िन्दगी के प्याले में जो भी था पी लिया.

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009

बेटियाँ जानती हैं

मैंने देखे थे कुछ सपने
और डर गयी थी-
किसी ने जान तो नहीं लिया....
कोई जान ही जाता तो क्या होता ...
शायद मेरी माँ अपना सर पकड़ लेती
और बाद में मेरे बाल
शायद मेरा भाई मुझे पीटता
और घर में क़ैद केर देता
शायद मेरा बाप किसी भी गधे के साथ
मुझे विदा कर जान छुडाता
इसीलिए मैं उन सपनों की पोटली बाँध
कहीं रखकर भूल गयी.

मैंने जिया वह जीवन
जो मेरे लिए तय कर दिया गया था -
सुरक्षित, सम्मानित और...अपमान से लबालब
जैसा मेरी माँ ने जिया था,
उसकी माँ ने...और उसकी माँ ने.
जैसा मेरी बहन ने जिया और भाभी ने.
उसकी बहन ने और उसकी भाभी ने.
हम सब अपने-अपने सपनों की पोटली बाँध
कहीं रखकर भूल गयीं थीं.

सपने तो न टूटे, न फूटे
जब भी हम में से किसी ने
बेटी को जन्म दिया
वे उसकी आँखों में जा बैठे

मेरी माँ अपने सपनों की शक्ल
भूल गयी थी
उसकी माँ भी... और उसकी माँ भी.

पर मैं नहीं भूली थी
मेरी बहन भी नहीं, भाभी भी नहीं
उसकी बहन और उसकी भाभी भी नहीं.

हमने अपनी बेटियों की आँखों में बैठे सपनों को
पहचान लिया
ये वही थे जिन्हें हम पोटली में बाँध
कहीं रखकर भूल गयीं थीं.

मेरे पिता मेरी माँ के सपनों से अनजान थे
उनके पिता उनकी माँ के सपनों से
और उनके पिता...

पर मेरी बेटी के पिता
मेरे सपनों के बारे में जानते थे
और जानते थे मेरे सुरक्षित, सम्मानित जीवन के
अपमान से लबालब पहलू को भी
वे जानते थे मेरे सुख में दबी कसक को
जानते थे हमारी सब बेटियों के सब पिता

मैंने उन्हें बेटी की आँखों में बसे
सपनों की पहचान बताई
उनके भीतर उनके पिता जागे
और उनके पिता भी,,,
पर मेरी बेटी के पिता ने
स्वयं को उनका प्रतिरूप बनने से बचा लिया
उन्होंने उन सपनों को अपने सपने बना लिया
हमारे सपने बना लिया
हमारी सब बेटियों के सब पिताओं ने.

बेटियाँ अब छुप-छुपकर रोती नहीं थीं
वे पढ़ती थीं
वे खेलती थीं
वे हँसती थीं
वे प्यार करती थीं
दुनिया भर को
वे बहुत सुन्दर थीं
और बहुत सक्षम.

वे अध्यापक बनीं
वे पत्रकार बनीं
वे डाक्टर बनीं
वे अन्तरिक्ष में गयीं
वे नेता बनीं
वे बैंकर बनीं
वे कारपोरेट बनीं
वे अपने सपनों के साथ जीतीं बेहतर और
मुक़म्मिल इन्सान बनीं.

वे वैसा जीवन जी रही हैं
जैसा नहीं जिया मैंने
मेरी बहन ने, मेरी भाभी ने
उसकी बहन ने और उसकी भाभी ने
न मेरी माँ, उसकी माँ और उसकी माँ ने.

बेटियाँ जानती हैं
सपने सबकी आँखों में बसते हैं
सपने पाप नहीं हैं
वे प्रकृति का अनुपम उपहार हैं
माँओं के लिए, बेटियों के लिए
और उनकी बेटियों के लिए
ठीक उसी तरह
जैसे पिताओं के लिए
पुत्रों के लिए
और उनके पुत्रों के लिए .

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009

युवा स्त्री युवा पुरुष से मिली

एक युवा स्त्री एक युवा पुरुष से मिली - कारण कुछ भी रहा होगा। कार्य पूरा हो चुकने के बाद भी वे मिलते रहे क्योंकि पुरुष ने स्त्री को पसंद किया था और उसे पसंद आने की कोशिशें की थीं जिनमें वह सफल रहा था। मिलना पूरी तरह मिलना था।

दूसरी युवा स्त्री दूसरे युवा पुरुष से मिली - कारण कुछ भी रहा होगा। कार्य पूरा हो चुकने के बाद भी वे मिलते रहे क्योंकि स्त्री ने पुरुष को पसंद किया था और उसे पसंद आने की कोशिशें की थीं जिनमें वह सफल रही थी। मिलना पूरी तरह मिलना नहीं था क्योंकि पुरुष ने कुछ मुलाकातों के बाद उसे चालू कहकर उससे पीछा छुड़ा लिया था।

तीसरी युवा स्त्री तीसरे युवा पुरुष से मिली - कारण कुछ भी रहा होगा। कार्य पूरा हो चुकने के बाद भी वे मिलते रहे क्योंकि पुरुष ने स्त्री को पसंद किया था और उसे पसंद आने की कोशिशें  की थीं  जिनमें वह पूरी तरह सफल नहीं रहा था। मिलना पूरी तरह मिलना नहीं था पर जारी रहा क्योंकि स्त्री पुरुष की पसंदगी को अपना अहोभाग्य मानती रही।

चौथी युवा स्त्री चौथे युवा पुरुष से  मिली - कारण कुछ भी रहा होगा। कार्य पूरा हो चुकने के बाद भी वे मिलते रहे क्योंकि स्त्री ने पुरुष को पसंद किया था और उसे पसंद आने की कोशिशें की थीं जिनमें वह पूरी तरह सफल नहीं रही थी। मिलना पूरी तरह मिलना नहीं था क्योंकि पुरुष ने एक-दो बार मिलने के बाद अपना मोबाइल नम्बर  ही बदल लिया था। 

 पांचवीं युवा स्त्री पांचवें युवा पुरुष से मिली - कारण कुछ भी रहा होगा। कार्य पूरा हो चुकने के बाद भी वे मिलते रहे क्योंकि पुरुष को लगा था की वह उसके प्रोफेशन के लिए फायदेमंद होगी और उसने उसे पसंद आने की कोशिशें की थीं जिनमें वह पूरी तरह सफल नहीं हुआ था। मिलना पूरी तरह मिलना नहीं था पर जारी रहा क्योंकि स्त्री ने भी कुछ ऐसा ही सोचा था। और वे एक लम्बी अवधि तक नरक में जीते रहे।