अनुराधा जी रही है
अनुराधा जी रही हैवह नहीं मानती अपने पोलियोग्रस्त पैर को अपनी राह की रुकावट
वह नहीं मानती पिता की ग़रीबी को अपने लिए कोई बाधा
वह नहीं मानती अपने लड़की होने को कोई मुसीबत
उसने इसी सब के बीच जीते हुए एम फिल कर लिया है
और अब पी-एच डी कर रही है
अनुराधा जीवन रच रही है
