kavitaayen aur anya srijan
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क्षणिकाएं १ दिल उदास है इसमें नहीं कुछ खास है च...
दिल की बात करना आजकल आउट ऑफ़ डेट हो गया है पर क्या...
मेरे बारे में
kamlesh sachdeva
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रविवार, 27 सितंबर 2009
क्षणिकाएं
१
दिल उदास है
इसमें नहीं कुछ खास है
चलो यही सोचें -
कहाँ गया विश्वास है
२
अब मान भी लो
तुम्हारे बहुत अपने
देख रहे हैं कैसे- कैसे सपने
कैसी- कैसी माला लगे हैं जपने
तुम आँख बंद कर चादर तान भी लो
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