रविवार, 27 सितंबर 2009

क्षणिकाएं 


दिल उदास है
इसमें नहीं कुछ खास है
चलो यही सोचें -
कहाँ गया विश्वास है

अब मान भी लो
तुम्हारे बहुत अपने
देख रहे हैं कैसे- कैसे सपने
कैसी- कैसी माला लगे हैं जपने
तुम आँख बंद कर चादर तान भी लो

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